प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, May 29, 2011

बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा

विशेष : 

= डॉ.भीमराव अंबेडकर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, श्रीगंगानगर की एम.फिल. (हिन्दी साहित्य) की छात्रा प्रदीप कौर ने हिन्दी साहित्य की व्याख्याता डॉ.नवज्योत भनोत के निर्देशन में महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर को  सत्र 2009-10 में  लघु शोध प्रबंध  ''दीनदयाल शर्मा का बाल साहित्य : एक अध्ययन''  एम.फिल. (हिन्दी साहित्य) के चतुर्थ प्रश्न पत्र हेतु प्रस्तुत किया।
 
= माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान की ओर से आयोजित क्षेत्र के प्रसिद्ध साहित्यकार के प्रोजेक्ट निर्माण योजना के अंतर्गत  ''बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा का व्यक्तित्व एवं कृतित्व''  विषय पर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, मक्कासर, हनुमानगढ़, राजस्थान की वरिष्ठ अध्यापिका श्रीमती उर्वशी बिश्नोई के निर्देशन मे सीनियर सैकण्डरी कक्षा की छात्रा कु.रेणु बाला ने  सत्र 2010-11 में प्रोजेक्ट का निर्माण किया।

Saturday, May 28, 2011

एक भिखारी की आत्म कथा / दीनदयाल शर्मा

कविता -
एक भिखारी की आत्म कथा 
/ दीनदयाल शर्मा

मम्मी कहे
होता क से कबूतर
पापा कहे
होता क से कमल
कैसे याद करूं दोस्तो
उत्तर जिसका डबल - डबल

मम्मी कहे
ख से खटमल होता
पापा कहे
होता खरगोश
डबल उत्तर से
प्यारे दोस्तो
मेरे भी तब
उड़ गए होश

मम्मी कहे
ग से गमला होता
पापा कहे
होता ग से गधा
पापा की मानूं
तो गधा है
मम्मी की मानंू
तो गमला

मैं बोला-
ग से गड़बड़ होता
और गलत भी होता ठीक
ग से और बहुत कुछ होता
पर मम्मी पापा को
लगा न सटीक

ग से गड़बड़
कहां से लाया
ग से गलत भी
ठीक नहीं

मुझे लगे समझाने दोनों
हम तो बिल्कुल सही अड़े
मुझे सिखाते थक गए दोनों
रहे देखते खड़े - खड़े

ग से गधा और गमला होता
तो ग से गलत भी
मानो ठीक

मेरी न मानी
मुझे न पढ़ाया
दिनभर अब मैं
मांगूं भीख।

Sunday, May 1, 2011

मातृ दिवस पर विशेष कविता - माँ / दीनदयाल शर्मा

माँ 
माँ तू आंगन मैं किलकारी,
माँ ममता की तुम फुलवारी।
सब पर छिड़के जान,
माँ तू बहुत महान।।

दुनिया का दरसन करवाया,
कैसे बात करें बतलाया।
दिया गुरु का ज्ञान,
माँ तू बहुत महान।।

मैं तेरी काया का टुकड़ा,
मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
दिया है जीवनदान,
माँ तू बहुत महान।।

कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
तुझ पर मैं कुर्बान,
माँ तू बहुत महान।।
 
-दीनदयाल शर्मा,
बाल साहित्यकार
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
राजस्थान, भारत

  8 मई 2011 के लिए मातृ दिवस पर विशेष कविता। यह कविता मैंने 13/4/2011 को लिखी।

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