प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Thursday, July 12, 2012

दिनचर्या / दीनदयाल शर्मा



दिनचर्या

स्कूल से आते ही
सात वर्षीय सोनू
बैठ जाता है
घर की मुंडेर पर

और देखता रहता है
मम्मी पापा के आने तक
आते - जाते लोगों को..

अँधेरा होने तक
अपने कमरे में
"होम वर्क " करता - करता
वह थक जाता है
तो टी.वी.
और विडिओगेम में
व्यस्त हो जाता है...

इसी बीच
वह खाना खाता है
दूध पीता है
और सो जाता है...

सुबह मम्मी पापा चले जाते हैं
अपनी - अपनी ड्यूटी
और सोनू बस की
खिड़की के
पास वाली
सीट पर बैठ कर ...
इधर उधर
भागते लोगों को निहारता
पहुँच जाता है अपने स्कूल ..

और शाम को
स्कूल से आते ही वह
बैठ जाता है
घर की मुंडेर पर...

और देखता रहता है
मम्मी पापा के आने तक
आते - जाते लोगों को..

- दीनदयाल शर्मा

29 मार्च 2009 .. गणगौर पर्व पर लिखी कविता
...मेरी डायरी के पन्नों से..
 

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