प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, June 15, 2014

फादर्स डे पर विशेष
















फादर्स डे पर विशेष

पिताजी कहते थे
जल्दी उठो
वे खुद जल्दी उठते थे

वे कहते थे
मेहनत करो
वे खुद मेहनती थे

वे कहते थे
सच बोलो
वे खुद सच के हामी थे

वे कहते थे
ईमानदार रहो
वे खुद ईमानदार थे

मैं उनके बताए
क़दमों पर चला

आज सब कुछ है
मेरे पास .....
लेकिन पिताजी नहीं हैं..

दीनदयाल शर्मा
15 जून 2014 

हिन्दी में लिखिए