प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, December 29, 2007

 दीनदयाल शर्मा  को 1998 में राजस्थानी भाषा, 
साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर की ओर से 
बाल नाटक कृति "शंखेसर रा सींग" पर 
जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य पुरस्कार प्रदान करते हुए
 शिक्षामंत्री राजस्थान सरकार डॉ. बी.डी.कल्ला।

3 comments:

  1. सर सच तो ये है की आपके ब्लॉग पर बहुत बार आई पर हर बार सिर्फ फोटो होती और उस के लिए हर बार बधाई लिख देना ठीक नहीं लगा पर अब ये पता चला की फोटो के नीचे क्लिक करना है तो वहां तो खज़ाना निकला बहुत छुपा कर रखा था.अब पता चल गया है तो रेगुलर आना जाना होता रहेगा आभार

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  2. शर्मा जी आपकी पहेलियों ने दिल जीत लिया. बहुत असरदार है.
    Aapka Blog mark kar liya hai. Padhta rahunga.

    --
    नया ब्लॉग जन हित में > राष्ट्र जागरण धर्म हमारा > लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई http://myblogistan.wordpress.com/ अपनी ईमानदार टिप्पणी करें.

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