प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Saturday, December 29, 2007
नई दिल्ली गाँधी शांति प्रतिष्ठान ,
गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा में
चिपको आंदोलन के प्रणेता
श्री सुंदरलाल बहुगुणा के साथ
दीनदयाल शर्मा।
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