प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, March 20, 2015

आज चिड़िया दिवस पर मेरी एक कविता...

ओ चिड़िया / दीनदयाल शर्मा

ओ चिड़िया तुम कितनी प्यारी ।
साधारण-सी शक्ल तुम्हारी ।। 
चीं-चीं कर आँगन में आतीं ।
सब बच्चों के मन को भातीं ।।
भोली और लगतीं मासूम ।
जी करता तुमको लूँ चूम ।।
भाँति-भाँति के न्यारे-न्यारे ।
जीव-जंतु जहाँ रहते हैं सारे ।।
घर उनका हम सबको भाए ।
तभी तो चिडिय़ाघर कहलाए ।।

3 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति

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  2. सुन्दर शब्द रचना.................
    http://savanxxx.blogspot.in

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 26 सितम्बर 2015 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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