प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Wednesday, April 24, 2013
Madhumati , April 2013 Deendayal Sharma's Poems
Manak (Rajasthani) Feb. 2013 Deendayal Sharma's Poems
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