प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Tuesday, June 14, 2016

बारिश का मौसम / दीनदयाल शर्मा

बारिश का मौसम है आया ।
हम बच्चों के मन को भाया ।।

'छु' हो गई गरमी सारी ।
मारें हम मिलकर किलकारी ।।

काग़ज़ की हम नाव चलाएँ ।
छप-छप नाचें और नचाएँ ।।

मज़ा आ गया तगड़ा भारी ।
आँखों में आ गई खुमारी ।।

गरम पकौड़ी मिलकर खाएँ ।
चना चबीना खूब चबाएँ ।।

गरम चाय की चुस्की प्यारी ।
मिट गई मन की ख़ुश्की सारी ।।

बारिश का हम लुत्फ़ उठाएँ ।
सब मिलकर बच्चे बन जाएँ ।।

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