प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Monday, May 31, 2010

दीनदयाल शर्मा की बाल कविता - गर्मी

गर्मी / दीनदयाल शर्मा 
तपता सूरज लू चलती है ,
हम सबकी काया जलती है..

गर्मी आग का है तंदूर
इससे कैसे रहेंगे दूर
मन करता हम कुल्फी खाएं,
कूलर के आगे सो जाएँ.
खेलने को हम हैं मजबूर,
खेलेंगे हम सभी जरुर
पेड़ों की छाया में चलकर ,
झूला झूल के आयेंगे,
फिर चाहे कितनी हो गर्मी,
इस से ना घबराएंगे.

Sunday, May 30, 2010

दीनदयाल शर्मा की कविता - बचपन




बचपन


बच्चों को देखकर 
याद आता है बचपन
कितना भोला है बचपन
कितना नादां है बचपन।


कभी पतंग उड़ाना
डोर थामना-थमाना
कभी गुब्बारे उड़ाना
कभी आइस्क्रीम खाना


वो लड़ता हुआ बचपन
झगड़ता हुआ बचपन
शिकायतों का पुलंदा
सुनाता हुआ बचपन।


कंचों की गोली पर
साधता निशाना
कभी रेत के धोरों पर
गाता तराना।


कभी बरखा में नहाना
कीचड़ में भर जाना
कभी रूठ कर सो जाना
याद आता है बचपन।


कभी छिपना-छिपाना
कभी ब्याह रचाना
नए कपड़े पहन 
बार-बार इतराना


कभी सीटी बजाना
कभी ताली बजाना
कभी कमर मटकाना
याद आता है बचपन।


हो ,, कह कर डराना
कभी चिढऩा-चिढ़ाना
कभी आंखें दिखाना
कभी अंगूठा दिखाना


कभी स्कूल चले जाना
कभी घर भाग आना
कभी खेत चले जाना
याद आता है बचपन।


कभी पिताजी के कंधे बैठ
मेले में जाना
कभी चश्मा लगाना
कभी अळगोजे बजाना


कभी लकड़ी की कार में 
फोटो खिंचवाना
कभी झूलों में बैठ
आसमान छू कर आना।


ऐसा था बचपन
दीवाना था बचपन
बच्चों को देखकर 
याद आता है बचपन।

Saturday, May 29, 2010

दीनदयाल शर्मा की तीन शिशु कविताएं




हाथी

हाथी आया, हाथी आया
काला-काला हाथी आया
सूंड  हिलाता हाथी आया
कान हिलाता हाथी आया
कितना मोटा ताजा है ये
इसकी थुलथुल सी है काया।



कुत्ता

कुत्ता आया, कुत्ता आया
भौं-भौं करता कुत्ता आया
मेरे घर का है रखवाला 
हम बच्चों के मन को भाया
घर से बाहर घूमने जाऊं
बना रहे यह मेरा साया।



बकरी

बकरी आई, बकरी आई
में-में करती बकरी आई
चपर-चपर चरती है चारा
करती अपनी पेट भराई
पतली सी इसकी है काया
दिखती है हिरनी की माई।

दीनदयाल शर्मा की शिशु कविता-चूहा


चूहा 

चूहा आया, चूहा आया
चूं - चूं करता चूहा आया
पूंछ हिलाता चूहा आया
मूंछ हिलाता चूहा आया
देखो वह कितना फुर्तीला
कोई उसका पकड़ न पाया।

-दीनदयाल शर्मा

Friday, May 28, 2010

शिशु कविता- बिल्ली / दीनदयाल शर्मा

शिशु कविता-

 बिल्ली / दीनदयाल शर्मा 




बिल्ली 

बिल्ली आई बिल्ली आई 
पूँछ हिलाती बिल्ली आई

देखो दीदी देखो भाई 
मूंछ हिलाती बिल्ली आई 

चुपके चुपके बिल्ली आई
खा गई सारी रस मलाई.

- दीनदयाल शर्मा 

Thursday, May 27, 2010

बाल पहेलियाँ - 6 / दीनदयाल शर्मा

 बाल पहेलियाँ - 6 / दीनदयाल शर्मा






1.



राग सुरीली रंग से काली


सबके मन को भाती,


बैठ पेड़ की डाली पर जो


मीठे गीत सुनाती.



2.



सुबह - सवेरे घर की छत पर


करता कांव - कांव है,


काले रंग में रंगा है पंछी


मिलता गाँव - गाँव.





3.



कुकडू कूं जो बोला करता 


सबको सुबह जगाता,


सर पर लाल कलंगी वाला


गाँव घड़ी कहलाता.





4. 



नर पंछी नारी से सुन्दर


वर्षा में नाच दिखाए,


मनमोहक कृष्ण को प्यारा


राष्ट्र पक्षी कहलाता.





5.



हरी ड्रेस और लाल चोंच है


रटना जिसका काम,


कुतर कुतर कर फल खाता है


लेता हरि का नाम. 





उत्तर : 1. कोयल, 2. कौवा, 3. मुर्गा, 4. मोर, 5. तोता.

बाल पहेलियाँ भाग 5 / दीनदयाल शर्मा

बाल पहेलियाँ भाग 5
  दीनदयाल शर्मा 

1.

टर्र - टर्र जो टर्राते हैं
जैसे गीत सुनाते,
जब ये जल में तैरा करते 
पग पतवार बनाते.


2.

चर - चर करती शोर मचाती
पेड़ों पर चढ़ जाती,
काली पत्तियां तीन पीठ पर
कुतर - कुतर फल खाती.



3.

छोटे तन में गांठ लगी है
करे जो दिनभर काम,
आपस में जो हिलमिल रहती 
नहीं करती आराम.



4.

पानी में खुश रहता हरदम
धीमी जिसकी चाल,
खतरा पाकर सिमट जाये झट
बन जाता खुद ढाल.


5.

छत से लटकी मिल जाती है
अठ पग वाली नार,
बुने लार से मलमल जैसे
कपड़े जालीदार.



उत्तर : 1. मेंढक 2. गिलहरी, 3.चींटी, 
4. कछुआ, 5. मकड़ी.

Sunday, May 23, 2010


बाल पहेलियाँ भाग 4




1.
जंगल में हो या पिंजरे में
रौब सदा दिखलाता,
मांसाहारी भोजन जिसका
वनराजा कहलाता.


2.
गोल - गोल है जिसकी आँखें
भाता नहीं उजाला,
दिन में सोता रहता हरदम
रात विचरने वाला.


3.
हमने देखा अजीब अचम्भा
पैर हैं जैसे कोई खम्भा
थुलथुल काया बड़े हैं कान
सूंड इसकी होती पहचान.


4.
सरस्वती की सफ़ेद सवारी
मोती जिनको भाते,
करते अलग दूध से पानी
बोलो कौन कहाते ?


5.
कान बड़े हैं काया छोटी
कोमल - कोमल बाल,
चौकस इतना पकड़ सके ना 
बड़ी तेज है चाल.


उत्तर : 1. शेर, 2. उल्लू, 3.हाथी, 4. हंस, 5. खरगोश.





बाल पहेलियाँ भाग 3



1. 
करो या मरो नारा जिनका,
पहनी हरदम खादी,
आजादी की खातिर जिसने,
अपनी जान गंवा दी. 



2.
छोटे कद का बड़ा आदमी,
जीवन सीधा - सादा,
बचपन से ही संघर्षशील था,
उनका अटल इरादा.



3.
माँ स्वरूप रानी थी जिनकी
पिता थे मोती लाल,
फूल गुलाब का जिन्हें प्रिय था 
प्यारे बाल गोपाल. 



4.
अधिकारों का हक़ है जन्म सिद्ध,
लेंगे हम आजादी,
जन - जन में यह अलख जगाई,
लाल - पाल का साथी.



5. 
नारी के कल्याण की खातिर
जग में जोत जगाई,
ब्रह्म समाज थरपाया जिसने,
चेतनता फैलाई.

उत्तर : 1. महात्मा गाँधी, 2. लालबहादुर शास्त्री, 3. जवाहर लाल नेहरू , 
4. बाल गंगाधर तिलक 5.राजा राममोहन राय.


Tuesday, May 18, 2010

बाल पहेलियाँ भाग 1




1.




गोल - गोल अगनी का गोला,


कहलाता जो तारा,


उसके दिखने से होता है,


हर घर में उजियारा.






2.


दिखने में छोटी सी होती


गज़ब भरा है ज्ञान,


पढ़ कर इसको बन सकते हम


बहुत बड़े विद्वान






3.


टी. वी. से पहले थे जिसके


सारे लोग दीवाने,


घर- घर में शोभा थी जिससे,


सुनते खबरें - गाने.






4.


फिल्में, गीत, खबर और नाटक


रोज हमें दिखलाता,


सीसे का छोटा सा बक्सा,


बोलो क्या कहलाता ?




5.


अफसर, नेता सबको भाती,


चौपाई बिन जान,


उसको पाने की खातिर सब


अपने हैं अनजान.




6.


ऊँचा - ऊँचा जो उड़े,


ना बादल ना चील,


कभी डोर उसकी खिंचे,


कभी पेच में ढील.








7.


खड़ा- खड़ा जो सेवा करता,


सबका जीवन दाता,


बिन जिसके ना बादल आयें,


बोलो क्या कहलाता ?






8.


सब कुछ लगता गरम - गरम है,


गरम ना हमको भाए,


किस मौसम में मन करता है,


जी भर ठंडा खाएं.






9.


ठंडी - ठंडी दूध और जल से


जमी है चपटी - गोल,


सारे बच्चे मचल उठें सुन,


इसके मीठे बोल.






10.


चरणों में जो रहता हरदम,


सेवक सीधा सादा,


बदमाशों का करे खातमा,


दादों का भी दादा.




उत्तर : 1. सूरज, 2. पुस्तक, 3. रेडियो,

4. टी.वी., 5. कुर्सी,  6. पतंग, 7. पेड़,

8. गरमी, 9. कुल्फी, 10. जूता.

Monday, May 17, 2010




इसके बिन है सरकस सूना,
दर्शक एक न आए।
उल्टे-सीधे कपड़े पहने,
करतब ख़ूब दिखाए।

गुमसुम कभी न देखा इसको,
हर पल यह मुस्काए।
ख़ुद तो हँसता ही रहता है,
सबको ख़ूब हँसाए।

गिरते-गिरते बच जाता यह,
पल-पल में इतराए।
जोकर ही हो सकता है, जो
सबके मन को भाए।


हिन्दी में लिखिए