प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

कहानी ...चिंटू पिंटू की सूझ


चिंटू पिंटू की सूझ

एक गांव में एक बिल्ली रहती थी। नाम था उसका झबरी। गांव के बच्चे प्यार से उसे झबरी मौसी कहते थे। झबरी मौसी के छोटे-छोटे प्यारे से दो जुड़वां बच्चे भी थे। एक का नाम था चिंटू और दूसरे का नाम था पिंटू। चिंटू और पिंटू सारा दिन उछल-कूद करते तो झबरी मौसी उन्हें खूब समझाती लेकिन उन पर अपनी मां की बातों का कोई असर नहीं होता। रात को सोने से पहले झबरी मौसी चिंटू और पिंटू को रोजाना एक नई कहानी सुनाती। तब कहीं जाकर वे अपनी मां की गोद में सोते। दिन बीतते गए। चिंटू और पिंटू भी बड़े होते गए। अब वे अपनी मां के साथ बाहर घूमने जाने लगे। एक दिन चिंटू ने अपनी मां से पूछा- मां हम दोनों भाई बाहर घूम आएं क्या ? झबरी मौसी बोली, ना बेटे अकेले बाहर मत जाना। वहां तुम्हें कोई आदमी पकड़कर अपने घर पर रख लेगा। चिंटू बोला, अच्छा मां, हम बाहर नहीं जाएंगे। कुछ देर बाद झबरी मौसी गांव में खाने की खोज में निकल पड़ी। तब चिंटू अपने भाई पिंटू से बोला, पिंटू भैया, अब अच्छा मौका है। मां तो बाहर गई हुई है। अपने भी कहीं से खाना ले आते हैं। पिंटू जाने को राजी हो गया। फिर दोनों भाई इधर-उधर देखते हुए एक साथ अपने घर से बाहर निकल पड़े। घूमते-घूमते वे दोनों भाई एक मकान के अन्दर घुसे तो देखा कि आंगन में एक रोटी पड़ी है। चिंटू ने झट से रोटी को उठाया और वे दोनों मकान से बाहर आ गए। बाहर आकर चिंटू ने रोटी के दो टुकड़े किए। उसने एक टुकड़ा अपने पास रख लिया और एक अपने भाई पिंटू को दे दिया। पिंटू बोला, चिंटू भैया, तूने रोटी का बड़ा टुकड़ा रखा है और मुझे छोटा टुकड़ा दिया है। चिंटू ने कहा, नहीं छोटे-बड़े नहीं हैं, दोनों टुकड़े बराबर हैं। पिंटू बोला, अच्छा दोनों टुकड़े बराबर हैं तो तुम अपने वाला टुकड़ा मुझे दे दो और मेरे हिस्से वाला तुम रख लो। चिंटू गुस्से से बोला, नहीं देता मैं। रोटी तो मैं ही उठाकर लाया था घर से। अब छोटा-बड़ा करके शोर क्यूं करता है ? चिंटू का गुस्सा देखकर पिंटू को भी गुस्सा आ गया। उसने अपने हिस्से की रोटी का टुकड़ा चिंटू की तफ फेंक दिया और चिंटू के हिस्से का टुकड़ा ज्योंही पिंटू ने छीनना चाहा तो चिंटू सतर्क हो गया। उसने पिंटू को जोर से चांटा लगा दिया। लड़ाई-झगड़े में पिंटू भी कम नहीं था। उसने भी चिंटू को जोर से झापड़ मारा। दोनों भाई अपस में गुत्थम-गुत्था हो गए। पास ही पेड़ पर एक बंदर बैठा दोनों भाइयों की लड़ाई देख रहा था। वह झट से पेड़ से नीचे उतरा और चिंटू-पिंटू से बोला, बच्चों.....आपस में क्यों झगड़ रहे हो ? चिंटू बोला, बंदर चाचा, झगड़ा तो पिंटू करता है। जब मैंने रोटी के बराबर-बराबर दो हिस्से कर इसे दिया तो यह छोटा-बड़ा कहकर मुझसे लड़ने लगा। बंदर बोला, ऐसा करो..... ये दोनों टुकड़े इधर लाओ मेरे पास। चिंटू ने झटपट जमीन पर पड़े रोटी के दोनों टुकड़ों को उठाया और बंदर को दिखाते हुए बोला, देखो बंदर चाचा, ये टुकड़े हैं दोनों। आपको इन दोनों में से कौन सा छोटा और कौन सा बड़ा लगता है ? बंदर अपने माथे पर हाथ रखता हुआ बोला, बच्चो, ऐसे कैसे पता चलेगा ? ये दोनों टुकड़े पहले मुझे दो। अगर ये छोटे-बड़े हुए तो मैं तुम दोनों को बराबर करके दे दूंगा। बंदर की बात सुनकर पिंटू चौंका और वह चिंटू से बोला, चिंटू भैया, रोटी के ये दोनों टुकड़े बंदर चाचा के हाथ में मत देना। नहीं तो अपने दोनों भाई भूखे ही रह जाएंगे। तूने मम्मी से वो दो बिल्लियों का झगड़ा और बंदर वाली कहानी नहीं सुनी थी क्या ? चिंटू भैया, दोनों टुकड़े बराबर ही हैं। मैं अब कभी नहीं झगड़ूंगा। अच्छा तो ये बात है। क्यूं बंदर चाचा, हम दोनों भाइयों को तुम ठगने की कोशिश कर रहे थे ना। अब वो जमाना लद गया चाचा। चिंटू ने इतना कहकर रोटी का एक टुकड़ा पिंटू के हाथ में थमा दिया और वे दोनों भाई अपने घर की तरफ चल दिए। बंदर अपना सा मुंह लेकर रह गया और छलांग लगाता हुआ वापस पेड़ पर चढ़ गया।

1 comment:

  1. aapne kahaani kaa sukhaant kiyaa. bachpan se lekar aaj tak main puraani 'bandar baant' waali kahaani ko yaad karke dukhi ho jaata thaa. par aaj aapne kahaani ko nayaa mod dekar mujhe apchetan me isthit avsaad se bachaa liyaa. mujhe raahat mahsoos ho rahi hai. dhanywaad guruji.

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