प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, January 1, 2012

नया साल


एक साल बाद फिर या  साल आ गया..
काल  का पहिया देखो समय खा गया..

इस साल कितनी हस्तियाँ विदा हो गई.
यादें बन कर रह गई और जुदा हो गई.

काल चक्र का पहिया कभी रुकता नहीं.
कोई नहीं इससे बड़ा यह झुकता नहीं.

इसको समझ ले कोई वो इंसान होता है.
समय नकारने वाला सदा इंसान रोता है.

संकल्प लेकर उसको निभाना जरुरी है
वरना खुशियों की इंसान से बढ़ जाती दूरी है.

आओ ठहरें बतियाँयें दुःख सुख बाँट लें अपना.
किसी ने सच कर लिया , किसी का रह गया सपना.

बुजुर्गों बालकों से बात करके मन को हल्का हम
खुशियाँ दुगनी हो जाये और गम हो जाये कम.

फिर बात करने का भी पैसा लगे न  पाई यार.
जफियां पा के दिल को दे दे तूं तसल्ली दावेदार.

फिर ना रोग कोई घेरे , ना तनाव आएगा.
बी पी शुगर और दिल का डर भी मिट जायेगा..

कितने फायदे की बात है कुछ बात करने में 
चुप्पी तोड़ दे झट तूं , क्या रखा है डरने में ...

स्वस्थ जीना भी जीना है, बीमारी जिंदगी है खाक,
अमर होना है तो जी ले चाहे बन जाना फिर तूं राख़.

कितना जी लिया तूं, कोई मायना नहीं,
कैसे जी लिया खुद को , ज़िक्र होगा तेरा कहीं ,

खुला दिल भी छोड़ दे, और दिमाग को भी तुम 
फिर देखना मत उलझनों में खुद को कभी भी गुम

बहते झरने भांति, सदा बहते ही रहना तुम 
फिर देखना तूं , हारी बजी जीत जायेगा..

नया अब साल आया है, नया फिर साल आयेगा..
तेरा जुनून है जिंदा..सदा खुशियाँ ही पायेगा..


-दीनदयाल शर्मा, 1 -1 -2012  



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