प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Monday, January 31, 2011

माँ / दीनदयाल शर्मा


माँ
अठारह जनवरी ग्यारह को,
चली गई थी माँ।
बचपन मेरा ले गई,
मुझे बड़ा कर गई माँ।।

दीनू दीनूड़ा दीनदयाल, 
कह पुकारती थी माँ।
गोद में सिर टेकता,
तो दुलारती थी माँ।।

इक माँ ही गुरु थी मेरी,
सच्ची राह दिखाती थी।
करता था गिले-शिकवे,
तो मुझे समझाती थी।।

तेईस जनवरी दस को,
इक भाई चला जवाँ।
बेटे के बिछोह से,
तब भर गई थी माँ।।

इक साल सदमा ढोया,
ना सहन पाई माँ।
दिल बिंध गया था उसका,
थे रह गये निशाँ।।

बारह मार्च छ: की भोर,
पिताजी चले गये।
कहती थी मुझे छोड़कर,
वे चले गये कहाँ।।

साथी से पलभर कभी,
न दूर हुई थी माँ।
अब चली गई है माँ,
अनाथ कर गई है माँ।।

-दीनदयाल शर्मा,
बाल साहित्यकार

Sunday, January 23, 2011

हार्दिक श्रद्धांजलि....

बड़े दु:खी हृदय से सूचित किया जाता है कि वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा की माताश्री एवं मेरी (दुष्यंत जोशी) चौरासी वर्षीया दादीजी श्रीमती महादेवी का 18 जनवरी, 2011 (पौष शुक्ल-१४, विक्रम सम्वत 2067) को प्रातः 8:30 बजे स्वर्गवास हो गया | श्रद्धांजलि का आयोजन 29 जनवरी, 2011 को दोपहर 12:00 से 1:00 के बीच हमारे निवास 10/22, आर.एच.बी. कालोनी, टाबर टोळी गली, हनुमानगढ़ जंक्शन (राज.) में रखा गया है | Mobile- 09414514666, 9509542303

Sunday, January 16, 2011

कर्म ही पूजा / दीनदयाल शर्मा


कर्म ही पूजा 

कितना सारा काम करूँ मैं
फिर भी गधा कहाता
किससे कहूँ मैं पीड़ा अपनी
किसे नियम बतलाता।

लादो चाहे कितना बोझा
चुपचाप लदवाता
मैं भी करूँ आराम कभी तो
मन में मेरे आता।

शीतल अष्टमी के दिन केवल
अपनी सेवा पाता
बाकी दिन मैं मेहनत करता
नज़र न कभी चुराता।

खाना जैसा देते मुझको
चुपचाप मैं खाता
शिकवे-शिकायत कभी न करता
नखरे न दिखलाता।

मैं जिसकी करता हूँ सेवा
समझूँ उसको दाता
कर्म करूँ गीता भी कहती
कर्म से मेरा नाता ।।

- दीनदयाल शर्मा


Wednesday, January 12, 2011

Happy birthday Dushyant

Aaj 12 January 2011 ko beta Dushyant Joshi 
19 saal ka ho gya..Happy birthday Dushyant..
Mob. 09509471504 (Dushyant)
09414514666 (Deendayal Sharma, Papa)

चूँ-चूँ चूहा / दीनदयाल शर्मा

चूँ-चूँ चूहा
चूँ-चूँ चूहा बोला- मम्मी,
मैं भी पतंग उड़ाऊँगा ।
लोहे-सी मज़बूत डोर से,
मैं भी पेच लड़ाऊँगा ।

मम्मी बोली- तुम बच्चे हो,
बात पेच की करते हो ।
बाहर बिल्ली घूम रही है,
क्या उससे नहीं डरते हो ?

चूँ-चूँ बोला- बिल्ली क्या है,
उसे करूँगा 'फेस'।
मैंने पहन रखी है मम्मी
काँटों वाली ड्रेस ।


Tuesday, January 11, 2011

NBT aur sahity srijan samman, Sri Ganganagar, Rajasthan 2011 men children writer Deendayal Sharma apni baal sansmarn book bhent men dete hue..09 Jan. 2011 Sunday, Nozge Public school. SGNR

Shri Pankaj Chaturvedi, NBT, Delhi ke Pravkta, Pratap keshri ke sampadak Amit Nagpal, Varishsth lekhak Arvind Kumar singh, Varishth lekhak Pankaj Vishth, Vyagykar aur baal sahitykar Govind sharma & Pankaj chaturvedi ji ko baal sansmarn pustak "Baalpane Ri Baatan" bhent men dete hue Children Writer Deendayal Sharma, 09 January, 2011, Sri Ganganagar, Rajasthan

Lekhak se miliye :Suratgarh, Shri Mal chand Tiwari, Bikaner

Rajasthani Baal Sahitya Sammelan, Sri Dungargarh (Bikaner) 01se 02-January 2011



Wednesday, January 5, 2011

किससे पूछूँ, पापा! / दीनदयाल शर्मा


किससे पूछूँ, पापा! 

पापा! मुझे बताओ बात

कैसे बनते हैं दिन-रात,

चंदा तारे दिखें रात को 
सुबह चले जाते चुपचाप।


पापा! पेड़ नहीं चलते हैं
ना ही करते कोई बात
कैसे कट जाते हैं, पापा! 
इनके दिन और इनकी रात।



और ढेर-सी बातें मुझको 
समझ क्यूँ नहीं आती हैं,
ना घर में बतलाता कोई 
ना मैडम बतलाती हैं।



फिर मैं किससे पूछूँ, पापा! 
मुझको बतलाएगा कौन 
डाँट-डपट के कर देते हैं
मुझको, पापा! सारे मौन।

- दीनदयाल शर्मा




डॉ. चेतन स्वामी & बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा,

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चेतन स्वामी के साथ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा,
श्री डूंगरगढ़ (बीकानेर ) में आयोजित एक साहित्यिक समारोह के दौरान लिया गया चित्र  2010  

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