किताब सुख दुःख में साथ, निभाती रही किताब, बुझे मन की बाती, जलाती रही किताब, अँधेरे में भी राह दिखाती रही किताब, जब कभी लगी प्यास, बुझाती रही किताब, मन जब हुआ उदास, हँसाती रही किताब, अनगिनत खुशियाँ, लुटाती रही किताब. -दीनदयाल शर्मा
गीत ख़ुशी के गाएँ आखर आखर सीखें हम सब, अपना ज्ञान बढायें. प्राणी हो कोई पीड़ा में, मिलकर दर्द मिटायें. सुख-दुःख आते ही रहते हैं उनसे ना घबराएँ. भटक जाये यदि कोई मुसाफिर राह उसे बतलाएं, मिलजुल कर हम रहना सीखें, गीत ख़ुशी के गाएँ -दीनदयाल शर्मा
किताब
ReplyDeleteसुख दुःख में साथ, निभाती रही किताब,
बुझे मन की बाती, जलाती रही किताब,
अँधेरे में भी राह दिखाती रही किताब,
जब कभी लगी प्यास, बुझाती रही किताब,
मन जब हुआ उदास, हँसाती रही किताब,
अनगिनत खुशियाँ, लुटाती रही किताब.
-दीनदयाल शर्मा
गीत ख़ुशी के गाएँ
ReplyDeleteआखर आखर सीखें हम सब,
अपना ज्ञान बढायें.
प्राणी हो कोई पीड़ा में,
मिलकर दर्द मिटायें.
सुख-दुःख आते ही रहते हैं
उनसे ना घबराएँ.
भटक जाये यदि कोई मुसाफिर
राह उसे बतलाएं,
मिलजुल कर हम रहना सीखें,
गीत ख़ुशी के गाएँ
-दीनदयाल शर्मा