प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Tuesday, December 13, 2011
सर्दी / दीनदयाल शर्मा
सर्दी आई सर्दी आई
ओढ़ें कम्बल और रजाई
ज्यों-ज्यों सर्दी बढ़ती जाए
कपड़ों की हम करें लदाई।
मिलजुल सारे आग तापते
रात-रात भर करें हथाई।
भाँति-भाँति के लड्डू खाकर
सर्दी पर हम करें चढ़ाई।
सूरज निकला धूप सुहाई
सर्दी की अब शामत आई।
फाल्गुन आया होली आई
सर्दी की हम करें विदाई।।
-दीनदयाल शर्मा
Sunday, December 4, 2011
हार्दिक श्रद्धांजलि
हार्दिक श्रद्धांजलि
देवानंद हीरो थे जगत के
हरदम सदाबहार
बच्चे , बूढ़े और जवां ने
दिया था उनको प्यार
फ़िल्में उनको रखेंगी जिंदा
बनी है बेशुमार
छोड़ देह को चले गये वे
लेंगे नव अवतार..
दीनदयाल
शर्मा
बाल साहित्यकार
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