प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, January 27, 2012

बेटी ऋतुप्रिया की अंगूठी रस्म की स्मृतियाँ


4 comments:

  1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..डॉ. मोनिका शर्मा जी

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  2. रीना मौर्या जी..आपका बहुत बहुत धन्यवाद..

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