प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Monday, February 27, 2012
Maa ki Mamata
Sunday, February 5, 2012
बेटी ऋतुप्रिया की अंगूठी रस्म की स्मृतियाँ 5
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दुष्यंत जोशी, हनुमानगढ़ जंक्शन, राजस्थान, Mob. 9509471504