प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Wednesday, March 7, 2012

होली / दीनदयाल शर्मा

होली

रंगों का त्यौंहार जब आए
टाबर टोल़ी के मन भाए।

नीला पीला लाल गुलाबी
रंग आपस में खूब रचाए।

रंग की भर मारें पिचकारी
'होली है' का शोर मचाए।

सूरत सबकी एक-सी लगती
इक दूजा पहचान न पाए।

बुरा न माने इस दिन कोई
सारा ही रंग में रच जाए।।

2 comments:

  1. सुंदर रचना....
    होली पर्व कि शुभ कामनाये

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  2. होली की की शुभकामनाएँ...

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