प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Wednesday, March 21, 2012

विश्व कविता दिवस पर विशेष


बीमारी 
म्हूँ भी कित्तो पागल हूँ
उम्मीदां  पाळने री बीमारी
कीं ज्यादा ही है म्हारे मांय
लोगाँ दांईं    
क्यूं नीं बण सकूं मैं 
मन्ने भी कुत्ता पाळना चाहिजे 
- दीनदयाल शर्मा 

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