प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Wednesday, March 21, 2012
विश्व कविता दिवस पर विशेष
बीमारी
म्हूँ भी कित्तो पागल हूँ
उम्मीदां पाळने री बीमारी
कीं ज्यादा ही है म्हारे मांय
लोगाँ दांईं
क्यूं नीं बण सकूं मैं
मन्ने भी कुत्ता पाळना चाहिजे
- दीनदयाल शर्मा
2 comments:
डॉ. मोनिका शर्मा
March 21, 2012 at 11:27 PM
बहुत उम्दा
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दीनदयाल शर्मा
March 22, 2012 at 9:16 PM
धन्यवाद ...डॉ. मोनिका शर्मा जी...
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बहुत उम्दा
ReplyDeleteधन्यवाद ...डॉ. मोनिका शर्मा जी...
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