प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, February 24, 2013

ईसा ने कहा था / दीनदयाल शर्मा


ईसा ने कहा था


ईसा ने कहा था .....
वे नहीं जानते वे क्या कर रहे हैं
उन्हें माफ़ कर देना
लेकिन हम
जानकार भी अनजान हैं..
हमारे सामने
कितना कुछ घटता है
हम मौन हैं
अपने काम में मस्त हैं
किसी से कोई लेना देना नहीं है
जीवन इसका नाम तो नहीं..
हम केवल खुद के लिए जीते हैं
और दूसरों से उम्मीदें रखते हैं
जबकि पशु भी
दूसरों की मदद करते हैं..
हम खुद दोषी हैं..
तभी तो
हम भीड़ में भी अकेले हैं
अपने आप को
सभ्य कहलाने का
दंभ भरते हैं..
गलत को गलत
और सही को सही
कहने से डरते हैं..
हमें खुद सोचना होगा.
कि हम
जानकर भी अनजान
कब तक बने रहेंगे..
और खुद के लिए ही
कब तक जीते रहेंगे..?

-दीनदयाल शर्मा
24 . 05 .2012
टाइम : 11 :06 PM
09414514666, 09509542303

1 comment:

हिन्दी में लिखिए