प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Tuesday, July 1, 2014
काळ रा दूहा / दीनदयाल शर्मा
खेत खळा खाली खड़्या,
के काडै किरसाण.......
टाबर टसकै टीकड़ां..
घर घर में घमसाण..
दीनदयाल शर्मा
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