प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, December 29, 2007

मार्च 1989 राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से 
बाल कथा कृति "चिंटू-पिंटू की सूझ" पर दीनदयाल शर्मा को 
डॉ. शम्भूदयाल सक्सेना पुरस्कार प्रदान करते हुए
 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रभाकर माचवे।

20 comments:

  1. दीनदयाल शर्मा की तीन कविताएँ

    (1)
    अमृता ने ही कहा
    चलो मिलकर चलते हैं
    चलो मिलकर जीते हैं...
    कितना मुश्किल है
    पहल करना
    महान थी अमृता.

    (2)
    किसे नहीं अच्छा लगता फूल
    सुन्दरता सबको भाती है
    आदमी भले ही
    फूल नहीं बन पाता
    पर जब
    वह मुस्कुराता है
    खिलखिलाता है
    तब होती है बौछार
    भांति - भांति के फूलों से
    महक उठता है वातावरण
    बहने लगती है भिन्नी भिन्नी बयार
    और आसमान में दिखने लगता है
    सतरंगी इन्द्रधनुष ...

    (3)
    कुछ क़ानून की
    कैद में
    और कुछ
    मुहब्बत में
    कैद हैं.
    हम मर कर भी
    जी जाएँ
    जीना इसी का नाम है.

    साहित्य संपादक ( मानद )
    टाबर टोली, हनुमानगढ़ जं. -335512
    मोब : 09414514666
    Date : 11 March, 2010 9:30 AM

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  2. उपलब्धियों पर बधाई और शुभकामनायें देने आई और साथ साथ यह कहने की इमरोज़ की नज्मों के संग जो आपने कहा, उनका प्रभाव पड़ा- और यहाँ आपकी हर रचनाओं से एक रिश्ता बना

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  3. आपको हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाये!

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  4. शर्मा जी राम राम
    मै हनुमान गढ कई बार आयोड़ों हुँ,

    आज पहली बर थारा ब्लाग पै आयो,
    चोखो लाग्यो, फ़ेर दुबारा मिल स्यां

    थाने घणी घणी बधाई

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  5. बधाई ही बधाई...आप उन्नति के पथ पर अग्रसर हों.

    ________________
    शब्द शिखर पर- "भूकम्प का पहला अनुभव"

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  6. जय श्री कृष्ण..आपको बधाई ....आपने बेहद खुबसूरत कवितायेँ लिखी हैं....मन को छू देने वाली....सरल और सहज.....हांजी हमने बधाई देने में बहुत देर कर दी...और आपका आभार...बस इसी प्रकार अपनी दुआएं साथ रखियेगा.....हम और ज्यादा अच्छा और दिल से लिखने का प्रयास करते रहेंगे....!!!!
    ---डिम्पल

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  7. maine kavita me sudhar kiya.....dekhiye....

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  8. गलत काम में गुस्सा आता, धीरज क्यों नहीं धरता मैं,
    उम्मीदें पालूं दूजों से, खुद करने से डरता मैं,
    ------bht bda aur kdwa sach hain....

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  9. jai shri rkishna..maine change kar diya.....thanks a lot....isi tarah prishkar karte rahiyega,,,,meri shuruaat hain...aapse bht kuchh sikhna hain...orkut pe kaise reply karun??,ujhe aapka nhi pta..meri id liojiye---dimplerathi3@gmail.com

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  10. आदरणीय भाई साहब,
    दुनिया में बड़ों के लिए लिखना सरल हो सकता है मगर सरल और सहज बच्चों के लिख पाना इतना सरल नहीं है. आप बच्चों के लिए लिखते हैं तो इस बात में तो कोई संशय ही नहीं कि आप का हृदय उनकी तरह निश्छल है वर्ना यह सब कैसे कर पाते ! आपकी बाल रचनाएं इस बात का मलाल पैदा करती है कि काश ! हम बच्चे ही होते और बच्चे ही रहते...................
    आप की साहित्य साधना के लिए आपको साधुवाद विशेषकर इस बात के लिए कि आप उनके लिए और उन पर लिखते हैं जिनमे ईश्वर निवास करता है !
    --जितेन्द्र कुमार सोनी ' प्रयास'
    www.jksoniprayas.blogspot.com
    www.mulkatimaati.blogspot.com

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  11. बहतु बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ....बिलकुल मन को छू लेने वाली कवितायें हैं...बहुत ही संवेदनशील

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  12. बहतु बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं

    *********************
    "शब्द-शिखर" के एक साथ दो शतक पूरे !!

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  13. बच्चों के लिए समाचार पत्र ..... ??

    बहुत बहुत बधाई आपको .....!!

    .जिज्ञासा है ... क्या इस पत्र के पाठक हुए ....??

    बाल कवितायेँ भी पढ़ी ....बहुत अच्छी हैं .....

    बकरी ने दो दिए थे अंडे
    बैठे थे श्मशान में पंडे
    गूंगी औरत करती शोर
    चूहों की दहाड़ सुनी तो
    सिर के बल पर भागे चोर.

    वाह .....!!

    इन्हें टिप्पणियों में न डाल कर एक एक कर प्रकाशित करते तो पाठक भरपूर मज़ा लेते .....!!

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  14. बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने सच लिखा है कि भगत सिंह तो हर कोई चाहता है...पर वे चाहते हैं कि पैदा पड़ोस में ही हो....समय रचना में व्यंग्य के साथ साथ समाज का दर्द भी झलकता है... बधाई .................मस्तान सिंह http://penaltystorke.blogspot.com

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  15. स्पर्द्दा अपने आप से करनी चाहिए ...दूसरों की उपलब्धियों से हमें अपने भीतर कुंठाएं पैदा नहीं करनी चाहिए..जिओ और जीने दो... Have fun....

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  16. बहतु बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं

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  17. Badhiya hai ye Joker Uncle ji, Par ap ise comment ki bajay Post men kyon nahin likhte.



    'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर करना न भूलें

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  18. @ दीन दयाल अंकल जी,

    आज आपकी भेजी किताब 'सपने', 'कर दो बस्ता हल्का' और The Dreams मिल गई. 'कर दो बस्ता हल्का' में तो ढेर सारे बाल-गीत हैं, उन्हें गुनगुनाने में खूब मजा आया. चार-चार पंक्तियों में लिखे ये गीत तो मेरे मन को खूब भाए. बाल एकांकी 'सपने' भी अच्छी लगी, पर उसके लिए अभी मुझे और पढना पढ़ेगा. अख़बार के दोनों अंक लाजवाब निकले, चार पेज में कित्ती सारी जानकारी. इसी तरह का विशेषांक कानपुर से प्रकाशित 'बाल साहित्य समीक्षा' (स0- डा. राष्ट्रबंधु दादा जी) ने मम्मी-पापा पर प्रकाशित किया था. उसमें मेरी भी ढेर सारी फोटो छपी थीं. इस अख़बार के बहाने आपके बारे में भी ढेर सारी जानकारियां मिलीं.पूर्व राष्ट्रपति कलाम जी के साथ सम्मान लेती आपकी फोटो शानदार लगी. आप तो खूब लिखते हैं...अपने ब्लॉग पर भी लिखा करें, पोस्ट के रूप में, टिप्पणियों के कालम में नहीं. वहाँ तो पता ही नहीं चलता कि आपने कुछ नया लिखा या नहीं...मैं भी इस अख़बार में कुछ भेजना चाहती हूँ, क्या भेजूँ..बताइयेगा. आज मैं बहुत खुश हूँ कि आपने ये सब मुझे भिजवाया. अख़बार का यूँ ही इंतजार रहेगा अब तो.

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  19. आदरणीय दीनदयाल जी,
    आपका ब्लॉग देखा.देखकर समझ में आया कि आपकी बाल साहित्यकार की छवि आपकी प्रतिभा के अनुरूप ही है.
    तस्वीरें बहुत पसंद आईं. लम्बे अरसे से आप इस क्षेत्र में सक्रिय हैं.
    बधाई और शुभकामनाएं.

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  20. अंकल जी, नमस्ते आप कैसे हैं. आजकल मेरे ब्लॉग पर नहीं आ रहे आप.
    _________________
    पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'

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