इन्द्रधनुष
बरखा जैसे ही हो गई बंद
फ़ैली धरा पे हवा सुगंध
सूरज की विपरीत दिशा में
खड़ा था सतरंगी पाबन्द.
बादल
आसमान में छाए बदल
पानी भर-भर लाये बादल
रिमझिम-रिमझिम बरखा करते
सबके मन को भये बादल.
मोर
आसमान में बादल आते
मोर नाचते सबको भाते
सबका लेते हैं चितचोर
कितने सुन्दर लगते मोर
भारत
भारत देश है मेरा प्यारा
सब देशों में सबसे न्यारा,
सब धर्मों का है ये धाम,
देता शांति का पैगाम.
तिरंगा
आजादी की आन तिरंगा,
इस धरती की शान तिरंगा,
देश प्रेम का पाठ पढाता
हम सब की है जान तिरंगा.
मीठी बोली सबको प्यारी,
कोयल बोले सबसे न्यारी,
हम भी सबसे मीठा बोलें,
पहले मन के भीतर तोलें
चींटी
नन्ही सी तुम चींटी रानी
खुद बनती हो एक कहानी
आपस में मिलजुल कर रहती
मेहनत से तू कभी न डरती
अनुशासन का पाठ पढाती,
कभी नहीं करती मनमानी.
चींटी रानी चींटी रानी,
तुम हो सब जीवों में स्यानी.
चिड़िया
सुबह सवेरे चीं-चीं करके
आँगन द्वारे गाती है,
नन्ही सी है चिड़िया रानी
सबके मन को भाती है.
सारे दिन क्यों पढें पुस्तकें
हम भी खेलें कोई खेल
बोझा बस्ते का कम कर दो
घर स्कूल बने हैं जेल.
पलभर में लड़तें हैं हम सब
पलभर में मिलतें हैं हम सब
अपनी दुनिया सबसे न्यारी
लगती हमको सबसे प्यारी.
नए वर्ष में करें इरादा
जीवन नई दिशा में मोड़ें
ग़र हो कोई बुरी आदत तो
मन में निश्चय करके छोड़ें.
किताबों में नानी
कहानी सुनाती है
पर मेरी नानी रात को
चुप चाप सो जाती है.
very nice poem
ReplyDeletebahut sunder h ye choti choti kavitaen, bachchon ki zabaan par sahajta se chad jaane wali.shubhkamnaen.
ReplyDeleteसब कुछ बयाँ कर दिया है चंद अल्फाजों में...वैसे भी अंग्रेज़ी स्कूलों ने ये कवितायेँ भुला ही दे हैं..
ReplyDeleteयहाँ भी गौर फरमाएं
www.jugaali.blogspot.com
sir sorry,
ReplyDeletedubaaraa, tibaaraa, chaubaaraa badhne par mujhe mazaa aane lagaa. saari kavitaayen shaandaar hain. sorry again.
भाई आपकी शिशु कवितायेँ मन को भाने के साथ साथ हलके चुटीलेपन से भीतर कहीं जगह बना लेतीं हैं
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनायें स्वीकारें -pooran sharma 'pooran'