प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, May 16, 2010

शिशु कवितायेँ भाग 2




इन्द्रधनुष

बरखा जैसे ही हो गई बंद


फ़ैली धरा पे हवा सुगंध
सूरज की विपरीत दिशा में
खड़ा था सतरंगी पाबन्द.














बादल


आसमान में छाए बदल


पानी भर-भर लाये बादल
रिमझिम-रिमझिम बरखा करते
सबके मन को भये बादल.




मोर



आसमान में बादल आते
मोर नाचते सबको भाते
सबका लेते हैं चितचोर
कितने सुन्दर लगते मोर


भारत

भारत देश है मेरा प्यारा
सब देशों में सबसे न्यारा,
सब धर्मों का है ये धाम,
देता शांति का पैगाम.









तिरंगा


आजादी की आन तिरंगा,
इस धरती की शान तिरंगा,
देश प्रेम का पाठ पढाता
हम सब की है जान तिरंगा.


कोयल

मीठी बोली सबको प्यारी,
कोयल बोले सबसे न्यारी,
हम भी सबसे मीठा बोलें,
पहले मन के भीतर तोलें





चींटी


नन्ही सी तुम चींटी रानी
खुद बनती हो एक कहानी

आपस में मिलजुल कर रहती
मेहनत से तू कभी न डरती
अनुशासन का पाठ पढाती,
कभी नहीं करती मनमानी.

चींटी रानी चींटी रानी,
तुम हो सब जीवों में स्यानी.




चिड़िया


सुबह सवेरे चीं-चीं करके
आँगन द्वारे गाती है,
नन्ही सी है चिड़िया रानी
सबके मन को भाती है.




मुर्गा


कुकडू कूं
मुर्गे की बांग
आलस को
खूंटी पर टांग.






तोता


टिऊ - टिऊ
जब तोता बोला
पिंकी ने
पिंजरे को खोला.



मोर


पिकोक - पिकोक
बोला मोर
नहीं करेंगे
कभी भी शोर.





कबूतर


गटर गूं जब
करे कबूतर
प्रश्न हमारे
आपके उत्तर.



चिड़िया


चीं - चीं करके
चिड़िया चहकी
वातावरण में
खुशबू महकी.






धूप

जाड़े में मन भाती धूप
हमको खूब सुहाती धूप
दरवाजे तक आ जाती है
घर में क्यों नहीं आती धूप.





बस्ता

बस्ता भारी
मन है भारी
कर दो बस्ता हल्का
मन हो जाये फुलका.




मेडम

मेरी मेडम
मेरे सरजी
हमें पढाते
अपनी मरजी.






जेल

सारे दिन क्यों पढें पुस्तकें
हम भी खेलें कोई खेल
बोझा बस्ते का कम कर दो
घर स्कूल बने हैं जेल.





अपनी दुनिया

पलभर में लड़तें हैं हम सब
पलभर में मिलतें हैं हम सब
अपनी दुनिया सबसे न्यारी
लगती हमको सबसे प्यारी.






लेखक

नाटक, कहानी, गीत, कविता
लेखक कैसे लिखते हैं,
ऐसा क्यों नहीं लिखते पापा,
जैसे सबको दिखते हैं.





आदत

नए वर्ष में करें इरादा
जीवन नई दिशा में मोड़ें
ग़र हो कोई बुरी आदत तो
मन में निश्चय करके छोड़ें.





टीवी चलादो

मम्मी पापा पुस्तक ला दो,
कविता कहानी कोई सुनादो
या मेरे संग मिलकर खेलो
या फिर अपना टीवी चलादो.



गाड़ी

गाड़ी जब चलती है पापा,
आसमान भी चलता है क्या,
समझ नहीं आती यह बात,
चंदा तारे चलते साथ.






सूरज

आसमान में सबसे न्यारा,
सूरज एक सितारा है,
अन्धकार को दूर भगाता
हर घर का उजियारा है.






नानी 

किताबों में नानी
कहानी सुनाती है
पर मेरी नानी रात को
चुप चाप सो जाती है.

5 comments:

  1. bahut sunder h ye choti choti kavitaen, bachchon ki zabaan par sahajta se chad jaane wali.shubhkamnaen.

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  2. सब कुछ बयाँ कर दिया है चंद अल्फाजों में...वैसे भी अंग्रेज़ी स्कूलों ने ये कवितायेँ भुला ही दे हैं..
    यहाँ भी गौर फरमाएं
    www.jugaali.blogspot.com

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  3. sir sorry,
    dubaaraa, tibaaraa, chaubaaraa badhne par mujhe mazaa aane lagaa. saari kavitaayen shaandaar hain. sorry again.

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  4. भाई आपकी शिशु कवितायेँ मन को भाने के साथ साथ हलके चुटीलेपन से भीतर कहीं जगह बना लेतीं हैं
    बधाई और शुभकामनायें स्वीकारें -pooran sharma 'pooran'

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