प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Saturday, June 12, 2010
आकाशवाणी सूरतगढ़ से प्रसारित दीनदयाल शर्मा की कुछ हिंदी कवितायें
ऑडियो सुनने के लिए यहाँ प्ले करें
2 comments:
दुलाराम सहारण
June 12, 2010 at 9:07 PM
बेहतरीन
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पृथ्वी
June 18, 2010 at 5:04 AM
अच्छी बात है कि अब इन्हें यहां भी सुनने का अवसर मिला. सादर
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बेहतरीन
ReplyDeleteअच्छी बात है कि अब इन्हें यहां भी सुनने का अवसर मिला. सादर
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