प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Wednesday, June 9, 2010

मेरे रेडियो नाटक- 'रिश्तों का मोल'

'रिश्तों का मोल'




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1 comment:

  1. अच्छी प्रस्तुति. सुखान्त कथा मन में पनप रहे अविश्वास को उखाड़कर विश्वास की जड़ें पुनः जमा देती है. अपनी रचनाओं से आप स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ समाज-सेवा भी कर रहे हैं.

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