प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, June 13, 2010

दीनदयाल शर्मा की राजस्थानी हास्य कवितायें

4 comments:

  1. बहुत बड़िया शर्मा जी!
    वीडियो बहुत बढ़िया बनाया है!

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  2. भाई कविता बीसियों बार सुनी है...पर आज का अंदाज़ इतना मज़ा दे गया कि पिछ्ले सारे मज़े पर एक बार फ़िर मज़ा आ गया....वाह.

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  3. very nice blog!!! now, more than never, i wish to learn ur language to be possible for me to understand wat u r sayin.... :) (am usin an on-line translator for while!!!).... by the way, is it a poem in this video???

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  4. its soo nice to see that it's still people worried about children, and that they are doing something to them!!! :)

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