प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Monday, June 14, 2010
एक कार्यक्रम के दौरान बाल साहित्यकार एवं हास्य कवि दीनदयाल शर्मा 1
1 comment:
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
June 14, 2010 at 9:46 PM
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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