चुपके चुपके बिल्ली आई,खा गई सारी रस मलाई।सुंदर कवितायेँ, बधायी स्वीकारें
बाऊ जी,बहुत खूब!तीसरी भी लिखिए..... जिसमें टॉम और जेरी का आमना-सामना हो!आशीष -- www.myexperimentswithloveandlife.blogspot.com
बच्चों पर कविता लिखना सहज नहीं है. इसके लिए बाल मन भी होना चाहिए. निश्चित रूप से आपका यह अनवरत प्रयास प्रशंसनीय है.
सम्मानिय दीनदयाल जीसादर प्रणाम !आप ने तो चूहे और बिल्ली को एक साथ प्रस्तुत कर दिया , जो चूहा देख भी मलाई को बात करता है सका हारी बिल्ली को नमन ! आप के बाल रचनाये देख हमे नुर्सेरी कि क्लास याद आने लग गयी ,बधाई !आभार !
deendayal ji chuhe billi ki yeh kavita bachcho ko bahut pasand aayi.thanks to post ....keep writing.
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चुपके चुपके बिल्ली आई,
ReplyDeleteखा गई सारी रस मलाई।
सुंदर कवितायेँ, बधायी स्वीकारें
बाऊ जी,
ReplyDeleteबहुत खूब!
तीसरी भी लिखिए..... जिसमें टॉम और जेरी का आमना-सामना हो!
आशीष
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बच्चों पर कविता लिखना सहज नहीं है. इसके लिए बाल मन भी होना चाहिए. निश्चित रूप से आपका यह अनवरत प्रयास प्रशंसनीय है.
ReplyDeleteसम्मानिय दीनदयाल जी
ReplyDeleteसादर प्रणाम !
आप ने तो चूहे और बिल्ली को एक साथ प्रस्तुत कर दिया , जो चूहा देख भी मलाई को बात करता है सका हारी बिल्ली को नमन ! आप के बाल रचनाये देख हमे नुर्सेरी कि क्लास याद आने लग गयी ,
बधाई !
आभार !
deendayal ji chuhe billi ki yeh kavita bachcho ko bahut pasand aayi.thanks to post ....keep writing.
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