प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, October 2, 2010

गाँधी शास्त्री जयंती पर


गाँधी शास्त्री / दीनदयाल शर्मा 

गाँधी-शास्त्री  सबके प्यारे
हम सबके हैं राज दुलारे.
हम सब सीखें इनसे जीना,
ये हैं सबकी आँख के तारे,

संकट में ना ये घबराए
सत्य अहिंसा हमें सिखाए
चलें सभी हम इनके पद पर,
जीवन के हो वारे न्यारे....


7 comments:

  1. दो अक्टूबर को जन्मे,
    दो भारत भाग्य विधाता।
    लालबहादुर-गांधी जी से,
    था जन-गण का नाता।।
    इनके चरणों में मैं,
    श्रद्धा से हूँ शीश झुकाता।।

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  2. गाँधी-जयंती पर सुन्दर प्रस्तुति....

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  3. अच्छी अच्छी बातों से भरी सुंदर कविता.......

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  4. सुन्दर प्रस्तुति

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  5. बापू जी तो हम बच्चों को खूब प्यार करते थे...प्यारी लगी यह कविता.

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