दीनदयाल शर्मा की राजस्थानी कविताएं
टाबर - 1
टाबर हांसै-मुळकै
अर
करै मीठी-मीठी बातां
टाबर
सदांईं बोलै
सांच
आपां
टाबरां सूं सीखां
आपां
टाबरां ज्यूं दीखां।
टाबर - 2
टाबर सूं
कोई
क्यूं नीं
करै बात
स्यात
इण कारण
कै
टाबर री
हरेक बात में
हुवै सुवाल।
टाबर - 3
टाबर
मार खाण रै
थोड़सीक ताळ पछै
हुज्यै
बीस्या रा बीस्या
टाबर
नीं बांधै गांठ
अर आपां
छोटी सी बात माथै
बांधल्यां घुळगांठ।
टाबर -4
टाबरां नै
नीं खेलणद्यै
मा-बाप
माटी में
माटी सूं
कियां हुवै मोह
टाबरां नै
स्यात
इणी कारण
चल्याजै
थोड़साक बड्डा हुंवतांईं
टाबरिया परदेस।
टाबर - 5
टाबर
कित्ता बोलै सांच
नीं जाणै
बणावटी बातां
जात-पांत
अर
भेदभाव भी
नीं जाणै
टाबर
स्यात जदी हुवै
टाबर
भगवान रौ रूप।
आपकी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं!
ReplyDeleteसोवणी कविता .......
ReplyDeleteकित्ती प्यारी कविता...बधाई.
ReplyDelete______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस .