प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, December 17, 2010

पाठक मंच : ''बाळपणै री बातां'' पर रपट

बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा की राजस्थानी बाल संस्मरण पुस्तक  " बाळपणै री बातां " पर गाँव जसाना में पाठक मंच आयोजित किया गया..उक्त रपट "दैनिक तेज " में प्रकाशित ...

No comments:

Post a Comment

हिन्दी में लिखिए