प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, December 24, 2010

मां तूं घणी महान / दीनदयाल शर्मा

मां तूं घणी महान 

दुनिया दिखाई म्हानै
माणस बणाया म्हानै
गीलै में खुद तूं सोई
सूकै सुयाया म्हानै
जग में बणाई स्यान
मां तूं घणी महान।।

तेरी थां न कोई लेवै
भगवान भी है छोटौ
तेरौ हाथ म्हारै सिर पर
कियां पड़ैगौ टोटौ
जीवण दियौ तूं दान
मां तूं घणी महान।।

चरणां में तेरै अरपित
जीवण सदा मैं करस्यूं 
करजाऊ सदांई रै'स्यूं 
करजौ कियां मैं भरस्यूं 
दिन-रात तेरौ ध्यान
मां तूं घणी महान।।

-दीनदयाल शर्मा,
बाल साहित्यकार,
हनुमानगढ़, राजस्थान
मोबाइल : 09414514666

5 comments:

  1. माँ जग से है न्यारी।
    सगळे जग सुं है प्यारी

    माता जी नै म्हारी तरफ़ सुं पांव धोक कहियों
    राम राम

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  2. व्हाला भाई दीनदयाल जी
    घणैमान रामराम !

    माताजी खातर कविता तो सांतरी लिखी ।

    चरणां में तेरै अरपित
    जीवण सदा मैं करस्यूं
    करजाऊ सदांई रै'स्यूं
    करजौ कियां मैं भरस्यूं
    दिन-रात तेरौ ध्यान
    मा तूं घणी महान


    रंग है थां'री मात-भगती नैं !
    मा'जी नैं म्हारा घणैमान पगैलागणा !

    म्हैं मा वास्तै कैवूं कै -

    जग खांडो , अर ढाल है मा !
    टाबर री रिछपाळ है मा !

    मैण जिस्यो हिरदै कंवळो
    फळ - फूलां री डाळ है मा !

    जगत बेसु्रो बिन थारै
    तूं लय अर सुर - ताल है मा !

    बिरमा लाख कमाल कियो
    सैंस्यूं गजब कमाल है मा !

    लिछमी सुरसत अर दुरगा
    था'रा रूप विशाल है मा !

    मा ई मिंदर री मूरत
    अर पूजा रो थाळ है मा !

    ( पूरी रचना तो म्हारै ब्लॉग पर पढ सको । )

    एकर भळै भावां भरी कविता खातर बधाई अर धनवाद !

    ~*~नूंवै साल 2011 वास्तै हिय तळ सूं मंगळकामनावां !~*~

    शुभकामनावां सागै
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. बहुत बहुत सुन्दर कविता और उतने ही सुन्दर जज़्बात ! बधाई एवं शुभकामनाएं !

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  4. tauji kya kavita hai man karta hai padhti hi rahu mujhe yeh aache isliye lagi kyoki aaj ke jamane me bhi koi aapne ma se itna pyar karta hai

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