प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, December 25, 2010

गाँधी बाबा / दीनदयाल शर्मा


गाँधी बाबा

गाँधी बाबा आ जाओ तुम
सुन लो मेरी पुकार,
भूल गए हैं यहाँ लोग सब,
प्रेम, मोहब्बत प्यार ।

शांति, अमन और सत्य-अहिंसा
पाठ कौन सिखलाए ,
समय नहीं है पास किसी के,
कौन किसे बतियाए ,
तुम आ जाओ गाँधी बाबा,
हो सबका उद्धार ....

मारकाट में शर्म न शंका,
कैसे हो गए लोग,
कैसा संक्रामक है देखो
घर - घर फैला रोग,
दवा तुम्हीं दो गाँधी बाबा,
सबका मेटो खार.....

बन्दर तीनो मौन तुम्हारे,
इन पर भी दो ध्यान, 
कहीं हो जाए कुछ भी तीनो,
कभी न देते कान,
कहाँ मौन साधक बन बैठे,
मारो इक हुँकार.....


8 comments:

  1. वास्तब में आज गाँधी की ज़रूरत है| बहुत अच्छी पोस्ट बधाई
    शायद आपके व्लाग पर मेरी पहली हाज़िरी है ?

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  2. बढ़िया कविता.. बच्चो को प्रेरित करती..

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  3. गाँधी जी पर सुन्दर कविता..बधाई.
    ______________________
    'पाखी की दुनिया' में "तन्वी आज दो माह की.."

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  4. सुन्दर कविता ......

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  5. आपके जीवन में बारबार खुशियों का भानु उदय हो ।
    नववर्ष 2011 बन्धुवर, ऐसा मंगलमय हो ।
    very very happy NEW YEAR 2011
    आपको नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें |
    satguru-satykikhoj.blogspot.com

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  6. सुन्दर कविता ......
    नव वर्ष की शुभकामनाएँ !

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  7. जय श्री कृष्ण...आपका लेखन वाकई काबिल-ए-तारीफ हैं....नव वर्ष आपके व आपके परिवार जनों, शुभ चिंतकों तथा मित्रों के जीवन को प्रगति पथ पर सफलता का सौपान करायें .....मेरी कविताओ पर टिप्पणी के लिए आपका आभार ...आगे भी इसी प्रकार प्रोत्साहित करते रहिएगा ..!!

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