प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, July 16, 2011

सम्मान बहुत से पाओ / डॉ.विद्यासागर शर्मा


सम्मान बहुत से पाओ

दीनदयाल प्रसिद्ध बड़े हैं, लिखा बाल साहित्य।
पुस्तक कई लिखी हैं अब भी लिखते रहते नित्य।।

'टाबर टोळी' पाक्षिक इनका बच्चों को अति भाये।
स्तंभ बड़े रोचक हैं जिसके सबका ज्ञान बढ़ाये।।

कवि सम्मेलन में जब जाते, सबको खूब हँसाते।
काव्य-लतीफे सुनकर श्रोता लोटपोट हो जाते।।

डुक के हास्य व्यंग्य से सम्मोहित होता हर श्रोता।
नाटक एकांकी का अभिनय भी स्कूलों में होता।।

बालक जगिया पात्र तुम्हारा, है भोला पर प्यारा।
आम घरों के जीवन का इसमें है चित्रण न्यारा।।

राष्ट्रपति के सम्मुख लेकर, 'ड्रीम्स' गए थे अपने।
भावी भारत के इसमें हैं, बालमनों के सपने।।

पुरस्कार-सम्मान मिले, भारत के हर कोने से।
समारोह-सम्मेलन शोभित तव शामिल होने से।।

विनय यही ईश्वर से तुम बस यंू ही लिखते जाओ।
दीर्घायु अरू स्वस्थ रहो, सम्मान बहुत से पाओ।।

डॉ.विद्यासागर शर्मा
4-एफ-17, जवाहरनगर,
श्रीगंगानगर, राजस्थान
मोबाइल: 09414329434

2 comments:

  1. दीर्घायु अरू स्वस्थ रहो, सम्मान बहुत से पाओ......
    हम भी यही कहते हैं .....

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  2. डॉ. हरदीप संधू साहिबा..बधाई और शुभकामनाओं के लिए आपका धन्यवाद...

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