मुर्गे की सीख
मुर्गा बोला नहीं जगाता
अब तुम जागो अपने आप ।
कितनी घड़ियाँ और मोबाइल
रखते हो तुम अनाप-शनाप ।
मैं भी जगता मोबाइल से
तुम्हें जगाना मुश्किल है
कब से जगा रहा हूँ तुमको
तू क्या मेरा मुवक्किल है ।
समय पे सोना, समय पे जगना
जो भी करेगा समय पे काम
समय बड़ा बलवान जगत में
समय करेगा उसका नाम ।
दीनदयाल शर्मा
सुंदर सीख लिए ...प्यारी कविता
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteसुन्दर .... खूब कहा है !
ReplyDeleteबहुत खूब!
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