प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Friday, October 21, 2011
राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मलेन में दीनदयाल शर्मा
सलुम्बर ( उदैपुर, राजस्थान )
राष्ट्रीय
बाल साहित्यकार सम्मलेन में भाग लेते हुए दीनदयाल शर्मा
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