प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, November 27, 2011

अकड़ / दीनदयाल शर्मा


अकड़-अकड़ कर
क्यों चलते हो 
चूहे चिंटूराम,
ग़र बिल्ली ने 
देख लिया तो 
करेगी काम तमाम,

चूहा मुक्का तान कर बोला
नहीं डरूंगा दादी
मेरी भी अब हो गई है
इक बिल्ली से शादी।

6 comments:

  1. बहुत रोचक बाल गीत...

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  2. Thanks for following & support.

    इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

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  3. घणो समझदारी गो काम करयो रे 1

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  4. मजेदार कविता ......

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