प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, January 27, 2012

बेटी ऋतुप्रिया की अंगूठी रस्म की स्मृतियाँ 4






4 comments:

  1. बेटी श्रुतिप्रिया को ढेर सारा आशीष एवं आपको शुभकामनाएं। मंगलमय हो।

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  2. अंगूठी रस्म के उपरान्त आपको एक बड़े अवसर के लिए तैयारी करनी है. और कलेजे को करना है बहुत मज़बूत..
    वीर हनुमान ... आपको वज्रांग करें!.... बेटी की विदाई से अच्छे-अच्छे पत्थर पिघल जाते हैं.... वह दृश्य देखना बड़ा कारुणिक होता है.... जानता हूँ.

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  3. बहुत बहुत शुभकामनायें !

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  4. ललित शर्मा जी, प्रतुल वशिष्ठ जी और कैलाश शर्मा जी..आपका बहुत बहुत धन्यवाद..

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