प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Wednesday, May 9, 2012
Notice banaam Sampadak, Rajasthan Patrika
Bhle hi koi kitna bada kyo na ho...Mujhe nyaay chahiye...
Deendayal Sharma
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