प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, August 18, 2012


नानी 

नानी तू है कैसी नानी
नहीं सुनाती नई कहानी।


नानी बोली प्यारे नाती
नई कहानी मुझे न आती।



मेरे पास तो वही कहानी
एक था राजा एक थी रानी।



नई बातें कहाँ से लाऊँ
तेरा मन कैसे बहलाऊँ।



तुम जानो कम्प्यूटर बानी
तुम हो ज्ञानी के भी ज्ञानी।



मैं तो हूँ बस तेरी नानी।
तुम्हीं सुनाओ कोई कहानी।।

- दीनदयाल शर्मा

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (19-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    1. डॉ. मयंक जी, टिपण्णी के लिए आपका आभार..

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    1. डॉ. मोनिका शर्मा जी..आपको कविता अच्छी लगी..आपने टिपण्णी की..इसके लिए आपका थैंक्स..

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  3. बेचारी नानी कम्प्यूटर की बानी कैसे समझेगी...सुंदर बाल कविता|

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    1. ऋता शेखर मधु जी, टिप्पणी के लिए आपका थैंक्स..

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  4. तुम जानो कम्प्यूटर बानी
    तुम हो ज्ञानी के भी ज्ञानी।सहज ,सरल ,सुबोध
    अब तो भैया कंप्यूटर को समझो नानी ,नानी हो गई बहुत पुरानी ...
    ram ram bhai

    रविवार, 19 अगस्त 2012
    मीग्रैन और क्लस्टर हेडेक का भी इलाज़ है काइरोप्रेक्टिक में

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    1. विरेन्द्र कुमार शर्मा जी...टिप्पणी के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...

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    1. प्रिय चैतन्य , आपको कविता पसंद आना..मेरे लिए अवार्ड से कम नहीं है..टिप्पणी के लिए थैंक्स...

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  6. बहुत सुन्दर कविता ।
    नानी ने सच कहा ।

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  7. सुधाकल्प जी..टिपण्णी के लिए आपका हार्दिक आभार..आपको मेरी कविता पसंद आई इसके लिए आपका थैंक्स...

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