प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, December 23, 2012

'रीत अर प्रीत' का लोकार्पण


कवि दीनदयाल शर्मा की  राजस्थानी काव्य  कृति  'रीत अर प्रीत' का लोकार्पण 

हनुमानगढ़। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति  अकादमी, बीकानेर और सृजन सेवा संस्थान, श्रीगंगानगर के  संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पंचायती धर्मशाला, श्रीगंगानगर में शनिवार को  संभागीय समारोह में कवि दीनदयाल शर्मा ·की सद्य प्रकाशित राजस्थानी काव्य  कृति  'रीत अर प्रीत' का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण  में वरिष्ठ ·कवि  मोहन आलोक , राजस्थानी अकादमी अध्यक्ष श्याम महर्षि, महाजन के  डॉ.मदन गोपाल लढ़ा, संगरिया के  गोविन्द शर्मा, पीलीबंगा के निशान्त आदि ने लोकार्पण करते हुए दीनदयाल शर्मा को  बधाई दी। इस अवसर पर दीनदयाल शर्मा ने लोकार्पित  काव्य  कृति  'रीत अर प्रीत' से 'मा' और शीर्षक  कविता 'रीत अर प्रीत' का  वाचन किया । उल्लेखनीय है कि यह काव्य कृति  राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की पाण्डुलिपि प्रकाशन  योजना के  अंतर्गत बोधि प्रकाशन , जयपुर द्वारा दिसम्बर, 2012 में प्रकाशित की  गई है। श्री शर्मा हाल ही  साहित्य अकादेमी दिल्ली से पुरस्कृत होने के साथ साथ  अनेक  संस्थाओं से पुरस्कृत हो चुके है। इनकी हिंदी , राजस्थानी , पंजाबी और अंग्रजी सहित अब तक लगभग तीन दर्जन पुस्तकें  प्रकाशित हो चुकी  हैं।

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