दीनदयाल रा दूहा-
करम सुधारै काज / दीनदयाल शर्मा
सुरसत बैठी सा’मणै, चितर दिखावै च्यार।
बेदां नै तूं बांचले, पाछै कलम पलार।। 1
बैठ्यौ क्यूं है बावळा, टैम लाखिणी टूम।
मे’नत कर तूं मोकळी, झूम बराबर झूम।। 2
घोचो मुंडै क्यूं घालै, करले कोई काम।
घोचो बणसी घेंसळौ, लूंठां लोग लगाम।। 3
खाली नां कर खोरसौ, करम सुधारै काज।
भायां में भारी पड़ै, रोज करैलौ राज।। 4
जीभ चटोरी जोरगी, लपरावै क्यूँ लार।
रूखी खा ले रोटड़ी, जिंदड़ी रा दिन च्यार।। 5
बातां मत कर बावळा, समझ टैम रो सार।
घट-बध नीं होवै घड़ी, रै’वै अेक रफ्तार।। 6
मे’नत स्यूं मालक बणै, बधता जावै बोल।
गांव गु’वाड़ी गोरुवैं, ढम-ढम बाजै ढोल।। 7
मिनखजमारौ मोवणौ, हरख राख तूं हीय।
रूखी सूखी खायके , पालर पाणी पीय।। 8
काम अेक नीं तूं करै , पड़सी कियां पार।
सुपणां लेवै सो’वणां, सांचौ बण सरदार।। 9
मनड़ा मीठा मो’वणां, बूंदी - लाडू बोल।
सगळा करै सरावनां, आखौ कै ’ अनमोल।। 10
करम सुधारै काज / दीनदयाल शर्मा
सुरसत बैठी सा’मणै, चितर दिखावै च्यार।
बेदां नै तूं बांचले, पाछै कलम पलार।। 1
बैठ्यौ क्यूं है बावळा, टैम लाखिणी टूम।
मे’नत कर तूं मोकळी, झूम बराबर झूम।। 2
घोचो मुंडै क्यूं घालै, करले कोई काम।
घोचो बणसी घेंसळौ, लूंठां लोग लगाम।। 3
खाली नां कर खोरसौ, करम सुधारै काज।
भायां में भारी पड़ै, रोज करैलौ राज।। 4
जीभ चटोरी जोरगी, लपरावै क्यूँ लार।
रूखी खा ले रोटड़ी, जिंदड़ी रा दिन च्यार।। 5
बातां मत कर बावळा, समझ टैम रो सार।
घट-बध नीं होवै घड़ी, रै’वै अेक रफ्तार।। 6
मे’नत स्यूं मालक बणै, बधता जावै बोल।
गांव गु’वाड़ी गोरुवैं, ढम-ढम बाजै ढोल।। 7
मिनखजमारौ मोवणौ, हरख राख तूं हीय।
रूखी सूखी खायके , पालर पाणी पीय।। 8
काम अेक नीं तूं करै , पड़सी कियां पार।
सुपणां लेवै सो’वणां, सांचौ बण सरदार।। 9
मनड़ा मीठा मो’वणां, बूंदी - लाडू बोल।
सगळा करै सरावनां, आखौ कै ’ अनमोल।। 10
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