बबन विधाता / दीनदयाल शर्मा
बबन विधाता लेके छाता,
निकल पड़े बरसात में।
फिसले ऐसे गिरे जोर से,
कैसे चलते रात में।
कीचड़ में भर गए थे कपड़े,
देखे बबन विधाता।
इसी बीच में उड़ गया उनका,
रंग-बिरंगा छाता।
उड़ते-उड़ते छाता उनका,
पहुंच गया नेपाल।
बबन विधाता भीग गए सारे,
हो गए वे बेहाल।
चला हवा का झोंका उल्टा ,
वापस आ गया छाता।
तान के ऊपर चल दिए अपने,
घर को बबन विधाता।।
निकल पड़े बरसात में।
फिसले ऐसे गिरे जोर से,
कैसे चलते रात में।
कीचड़ में भर गए थे कपड़े,
देखे बबन विधाता।
इसी बीच में उड़ गया उनका,
रंग-बिरंगा छाता।
उड़ते-उड़ते छाता उनका,
पहुंच गया नेपाल।
बबन विधाता भीग गए सारे,
हो गए वे बेहाल।
चला हवा का झोंका उल्टा ,
वापस आ गया छाता।
तान के ऊपर चल दिए अपने,
घर को बबन विधाता।।
many many thanks ...Dr. Roopchandra Shastri Mayank ji....
ReplyDeleteबचपन-सी प्यारी और मासूम रचना !
ReplyDeleteधन्यवाद प्रीति जी...
ReplyDeleteबबन-विधाता----क्या नाम दिया!!!
ReplyDeleteबेहतरीन रचना है , सर धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत प्यारी बाल कविता...
ReplyDeleteAshish Awasthi ji aur Kailash Sharma ji...apka bahut bahut dhanyawaad...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteमजा आ गया :-)
सादर !
Bahut hi pyari-pyari rachna...!!
ReplyDeleteशिवनाथ कुमार जी और लेखिका ' Pari M Shlok' का बहुत बहुत आभार..जिन्हें मेरी बाल कविताएं बहुत पसंद आईं और इसके लिए उन्होंने कमेंट भी किया..
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