मेरी बाल कविताएं --
फुलवारी/ दीनदयाल शर्मा
भांत-भंतीली खुशबू प्यारी
महकी फूलों की फुलवारी
तितली फूलों पर मंडराए
भौंरे अपनी राग सुनाए
पत्ता-पत्ता हुआ हरा है
धरा हो गई हरियल सारी।
सूरज के उगते ही देखो
चिडिय़ा चहके गीत सुनाए
ओस की बूूंदों से टकराकर
कण-कण को रश्मि चमकाए
मदमाती जब चली पवन तो
महक उठी है क्यारी-क्यारी।
गेंदा और गुलाब - चमेली
सबकी खुशबू है अलबेली
जिधर भी देखो मस्ती छाई
जीव-जगत के मन को भायी
अपनी मस्ती में हैं सारे
भोली शक्लें प्यारी-प्यारी।।
मोर / दीनदयाल शर्मा
आसमान में बादल छाए
गड़-गड़-गड़-गड़ करते शोर
अपने पंखों को फैलाए
घूम-घूम कर नाचे मोर।
सजी है सुंदर कलंगी सिर पर
आँखें कजरारी चितचोर
रिमझिम-रिमझिम बरखा बरसे
सबके मन को भाता मोर।
पँखों में रंगीला चँदा
पिकोक पिको बोले पुरजोर
बरखा जब हो जाए बंद तो
नाचना बंद कर देता मोर।।
किताब / दीनदयाल शर्मा
सुख-दु:ख में साथ,
निभाती रही किताब।
बुझे मन की बाती,
जलाती रही किताब।
जब कभी लगी प्यास,
बुझाती रही किताब।
मन जब हुआ उदास,
हँसाती रही किताब।
अंधेरे में भी राह,
दिखाती रही किताब।
अनगिनत खुशियां,
लुटाती रही किताब॥
मेरी न्यारी / / दीनदयाल शर्मा
नानी मेरी न्यारी है
सब दुनिया से प्यारी है।
मुझको रोज पढ़ाती है
होमवर्क करवाती है।
समझ ना आए कोई पाठ तो
बिन मारे समझाती है।
मीठे जल की झारी है
नानी मेरी न्यारी है।
सोने से पहले यह मुझको
लोरी रोज सुनाती है
नींद न आए मुझे कभी तो
सिर मेरा सहलाती है।
फूलों की फुलवारी है
नानी मेरी न्यारी है।
मामा-मामी, बहन और भाई
सारे आज्ञाकारी है।
घर नानी का, घर जैसा है
रंग-रंगीली क्यारी है
घर की छत है नानाजी
तो नानी चारदीवारी है।
नानी मेरी न्यारी है
सब दुनिया से प्यारी है।।
ता-ता थैया / दीनदयाल शर्मा
ता-ता थैया- ता-ता थैया
नदिया में चलती है नैया॥
ता-ता थैया- ता-ता थैया
जंगल में चरती है गैया॥
ता-ता थैया- ता-ता थैया
सड़कों पर चलता है पहिया॥
ता-ता थैया- ता-ता थैया
राखी का बंधन है भैया॥
ता-ता थैया- ता-ता थैया
पॉकेट मनी पांच रुपइया॥
ता-ता थैया- ता-ता थैया
गीत सुरीला गाए सुरैया॥
ता-ता थैया- ता-ता थैया
नहाती मिट्टी में गौरैया॥
ता-ता थैया- ता-ता थैया
हम जैसा न कोई गवैया॥
नया साल / दीनदयाल शर्मा
नया साल लेकर आया है
खुशियों का उपहार,
इक-दूजे में खुशियां बांटें
समझे हम त्यौहार।
जाति-पाँति और भेदभाव से,
यह दिन कोसों दूर।
दिनभर बाँटें प्रेम-प्यार के,
संदेशे भरपूर।
नया साल देता है सबको,
खुशियों का अम्बार।
तजें बुराई भीतर की हम,
दृढ़ संकल्प हमारे
दु:ख-सुख को अपनाएं मिलकर,
सबके काज संवारें।
नया साल फैलाता हरदम,
ठण्डी मस्त बयार।
भला ही सोचें, करें भलाई
जग में होगा नाम
सज्जनों ने आजन्म किया है
हरदम अच्छा काम।
नया साल बतलाता हमको,
सज्जनता का सार।।
अंक गणित / दीनदयाल शर्मा
अंग्रेजी,हिन्दी, सामाजिक
और विज्ञान समझ में आए
अंक गणित जब करने बैठंू
सारा दिमाग जाम हो जए।
सरल जोड़ भाग गुणा घटाओ
कर लेता हूँ जैसे तैसे
घुमा घुमा कर पूछे कोई
उसको हल करूं मैं कैसे
इतना बड़ा हो गया फिर भी
अब अंक गणित में जीरो
बाकी सारे काम करूं झट
दुनिया माने मुझको हीरो।।
- दीनदयाल शर्मा
10/22 आर.एच.बी.कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जं. 335512, राज.
मोबाइल : 0941451666
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