प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Tuesday, November 11, 2014

ता-ता थैया-ता-ता थैया / दीनदयाल शर्मा



ता-ता थैया-ता-ता थैया / दीनदयाल शर्मा


ता-ता थैया- ता-ता थैया
नदिया में चलती है नैया॥

ता-ता थैया- ता-ता थैया
जंगल में चरती है गैया॥

ता-ता थैया- ता-ता थैया
सड़कों पर चलता है पहिया॥

ता-ता थैया- ता-ता थैया
राखी का बंधन है भैया॥

ता-ता थैया- ता-ता थैया
पॉकेट मनी पांच रुपइया॥

ता-ता थैया- ता-ता थैया
गीत सुरीला गाए सुरैया॥

ता-ता थैया- ता-ता थैया
नहाती मिट्टी में गौरैया॥

ता-ता थैया- ता-ता थैया
हम जैसा न कोई गवैया॥

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