आलस छोड़ो/ दीनदयाल शर्मा
मुर्गा बोला- जागो भैया,
बिस्तर में क्यों पड़े हो तुम।
आलस को अब दूर भगाओ,
सोच रहे क्या तुम गुमसुम।
आलस है हम सबका दुश्मन
नहीं काम करने देता।
जो भी होता पास हमारे,
उसको भी यह हर लेता।
बाड़े में भी बोली गैया
बिस्तर में क्यों पड़े हो तुम।
आलस को अब दूर भगाओ,
सोच रहे क्या तुम गुमसुम।
चीं-चीं करती कहे चिरैया,
बिस्तर में क्यों पड़े हो तुम।
आलस को अब दूर भगाओ,
सोच रहे क्या तुम गुमसुम।
गाड़ी का कहता है पहिया,
बिस्तर में क्यों पड़े हो तुम।
आलस को अब दूर भगाओ,
सोच रहे क्या तुम गुमसुम।
आलस छोड़ो सबकी मानो
अरे! अब तो उठ जाओ तुम।
आलस को अब दूर भगाओ,
सोच रहे क्या तुम गुमसुम।
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