प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Wednesday, November 19, 2014

बच्चे मन के सच्चे / दीनदयाल शर्मा

हिन्दी बाल कविता....

बच्चे मन के सच्चे  / दीनदयाल शर्मा 

खट खट खट खट कटती लकड़ी 
आठ पैर की होती मकड़ी..

थप थप थप थप देती थपकी 
घोड़ा खड़ा खड़ा ले झपकी..

चट पट चट पट चने चबाए,
बकरी में में कर मिमियाए 

टर टर टर टर मेंढक करता 
चूहा बिल्ली से है डरता..

खट खट खट खट बजते बूट 
बिन जूतों के फिरते ऊँट ..

खड़ खड़ खड़ खड़ होता शोर.
बादल देख के नाचा  मोर..

छट पट छट पट बरखा आए
कागज की सब नाव चलाए..

दड़ बड़ दड़ बड़ भागे बच्चे 
मन से निर्मल होते सच्चे ...

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