हिन्दी बाल कविता....
बच्चे मन के सच्चे / दीनदयाल शर्मा
खट खट खट खट कटती लकड़ी
आठ पैर की होती मकड़ी..
थप थप थप थप देती थपकी
घोड़ा खड़ा खड़ा ले झपकी..
चट पट चट पट चने चबाए,
बकरी में में कर मिमियाए
टर टर टर टर मेंढक करता
चूहा बिल्ली से है डरता..
खट खट खट खट बजते बूट
बिन जूतों के फिरते ऊँट ..
खड़ खड़ खड़ खड़ होता शोर.
बादल देख के नाचा मोर..
छट पट छट पट बरखा आए
कागज की सब नाव चलाए..
दड़ बड़ दड़ बड़ भागे बच्चे
मन से निर्मल होते सच्चे ...
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