फादर्स- डे पर विशेष
पिताजी / दीनदयाल शर्मा
पिताजी कहते थे
जल्दी उठो
वे खुद जल्दी उठते थे।
वे कहते थे
मेहनत करो
वे खुद मेहनती थे।
वे कहते थे
सच बोलो
वे खुद सच के हामी थे।
वे कहते थे
ईमानदार रहो
वे खुद ईमानदार थे।
मैं उनके बताए
कदमों पर चला।
आज सब कुछ है
मेरे पास.....
लेकिन पिताजी नहीं है।
-दीनदयाल शर्मा
नमन।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-06-2015) को "समय के इस दौर में रमज़ान मुबारक हो" {चर्चा - 2012} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक