प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Monday, October 19, 2015
National Duniya me meri Poems
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हिन्दी में लिखिए
विजेट आपके ब्लॉग पर
वेबसाइट निर्माता
दुष्यंत जोशी, हनुमानगढ़ जंक्शन, राजस्थान, Mob. 9509471504
No comments:
Post a Comment