प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, December 29, 2007

स्वतंत्रता दिवस 1989 को 
बाल साहित्य की 
उल्लेखनीय सेवाओं के लिए 
नगर परिषद हनुमानगढ़ 
की ओर से सम्मानित करते हुए 
मुख्य अतिथि ।

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