प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, December 29, 2007

सन् 1998 में बाल साहित्य की 
उल्लेखनीय सेवाओं के लिए 
दीनदयाल शर्मा को भारतीय 
बाल कल्याण संस्थान, 
कानपुर की ओर से 
सम्मानित करते हुए 
नंदन के संपादक 
श्री जयपकाश भारती । 
साथ हैं संस्था अध्यक्ष 
वरिष्ठ बाल साहित्यकार 
डॉ. राष्ट्रबंधु व अन्य।

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